अस्थिमज्जा प्रत्यारोपण के बाद डोनर से बदल गया शुक्राणु का डीएनए
1 min readचिकित्सा जगत में चल रहे शोध हमें नए-नए विकल्पों और साधनों के साथ साथ कई बार जटिलताओं को भी निमंत्रण देते हैं।यूँ तो शोध सतत चलने वाली गतिमान प्रक्रिया है जिससे मानव शरीर में छुपे नए रहस्य को उजागर किया जा सकता है, वैसे कई बार ऐसा लगता है यह महज पूर्व के ज्ञान के ही गूढ़ रहस्यों से पर्दा उठाने का साधन भर मात्र है। अब इस शोध को ही ले लीजिए जिसका परिणाम चिकित्सा विज्ञान की एक शाखा फारेंसिक मेडिसिन के लिए चर्चा का विषय बना हुआ हैं। अमरीका में नेवादा स्थित रेनो के आईटी प्रोफेशनल कृष लांग को तब बड़ी हैरानी हुई जब उन्हें यह पता चला कि उनके शुक्राणु में स्थित डीएनए तो एक जर्मन व्यक्ति का है जिनसे वो कभी नही मिले।हां उन्हीने 4 वर्ष पूर्व उक्त व्यक्ति की अस्थि मज्जा का प्रत्यारोपण स्वयं के शरीर मे अवश्य कराया था।न्यूयार्क टाइम्स में प्रकाशित इस स्टोरी के अनुसार लांग ने मज्जा प्रत्यारोपण अपनी एक्यूट मायलोइड ल्यूकेमिया के इलाज के लिये करवाया था।इस मज्जा प्रत्यारोपण का उद्देश्य कृष लांग के शरीर मे स्थित अस्वस्थ रक्त कोशिकाओं को नई स्वस्थ कोशिकाओं से बदलना था।ऐसी स्थिति में कृष लांग के शरीर में स्थित रक्त कोशिकाओं के डीएनए में हुए परिवर्तन का मतलब तो समझ आता है । कृष लांग के ही सहकर्मी रीनी रोनेरो जो अपनी फारेंसिक लेब चलाते है ने लांग की ही सहमति से उसके शरीर के विभिन्न हिस्सों से मज्जा प्रत्यारोपण से पूर्व डीएनए सेम्पलस लिये थे।मज्जा प्रत्यारोपण के बाद शरीर के विभिन्न हिस्सों जैसे होंठ,गाल एवं जीभ से डीएनए सेम्पलिंग दुबारा की गई तो उनमें लांग के ही डीएनए को पाया गया ,लेकिन आश्चर्य तब हुआ जब ठीक 4 साल बाद कृष लांग के शुक्राणु का डीएनए सेम्पल लिया गया और इस सेम्पल में पाया गया डीएनए कृष लांग का नही था बल्कि यह उसके उस यूरोपीय डोनर का था जिससे उसके शरीर मे अस्थिमज्जा का प्रत्यारोपण किया गया था।यह एक करिश्मा या अजूबा था कि अपनी जनन कोशिकाओं से कृष लांग का जीन अदृश्य हो चुका था और उस यूरोपीयन डोनर का जीन कृष लांग की जनन कोशिकाओं में आ गया था।अब कल्पना कीजिये कि यदि कृष लांग ने आगे अपनी संतान उत्पन्न की तो वह संतान तो कृष लांग की मानी जायेगी या उसके यूरोपियन डोनर की ?इस डीएनए शिफ्टिंग के पीछे की मेकेनिज्म बड़ी ही आश्चर्यजनक रही होगी,जब तीन अलग- अलग अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण विशेषज्ञ से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसे असंभव ही माना।कृष लांग के चिकित्सक म्हराद एबेदी का कहना है कि लांग ने दूसरे बच्चे के जन्म के बाद नसबंदी करवा ली थी।लेकिन फारेंसिक एक्सपर्ट का मानना है कि किसी अपराध में अब निर्दोष अस्थि मज्जा डोनर के फंसने की संभावना से इनकार नही किया जा सकेगा।आयुष दर्पण द्वारा प्रकाशित यह स्टोरी न्यूयॉर्क टाइम्स से ली गई है ।
It’s good for Ayurvedic practicener.
Thanks